Name Transfer

भूखण्डधारी/आवेदक को नाम प्रतिस्थापन हेतु आवेदन पत्र दस्तावेजों सहित नागरिक सेवा केन्द्र, जयपुर विकास प्राधिकरण में जमा कराना होगा।

इकरानामा के आधार पर 31.03.2002 से पूर्व क्रय किये गये प्रकरणों में (लेकिन जविप्रा पट्टा विलेख जारी नहीं है ) शुल्क 10/-रू. प्रति वर्गगज है। कुल देय राशि का 60 प्रतिशत, आई सी आई सी आई बैंक की जविप्रा स्थित शाखा में सफेद रंग के चालान के द्वारा एवं कुल देय राशि का 40 प्रतिशत हरे रंग के चालान के द्वारा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में मुख्य द्वार पर स्थित शाखा/ कलेक्ट्रेट के पीछे स्थित शाखा में जमा करवाना होगा।

हस्तान्तरण शुल्क निम्न प्रकरणों में देय नही हैः-(1) यदि आवंटन पत्र आवेदक के नाम का हो। (2) जविप्रा में भूखण्ड की लीजडीड प्राप्त करने से पूर्व आवेदक द्वारा पंजीकृत विक्रयनामा से भूखण्ड क्रय किया गया हो। (3) उत्तराधिकार के प्रकरण में। 

निम्न परिस्थितियों में हस्तान्तरण सम्भव नही हैः-(1) योजना की 90-बी की कार्रवाई नहीं हुई हो (2) योजना का रिकॉर्ड प्राधिकरण में समिति द्वारा जमा ना कराया गया हो। (3) भूखण्ड/योजना अवाप्ति में हो एवं योजना अनुमोदित नहीं हो (4) भूखण्ड सृजित नही हो या सुविधा क्षेत्र में हो। (5) प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन हो। 

यदि मूल आवंटी का नाम सहकारी समिति द्वारा प्रस्तुत सदस्यता सूची में नही है तो प्रार्थी को स्वयं के खर्चे पर दैनिक समाचार पत्र में विज्ञप्ति जारी करवानी होगी। जिसका आदेश जयपुर विकास प्राधिकरण के सहकारिता प्रकोष्ठ द्वारा जारी किया जावेगा। 

आपत्ति प्राप्त होने पर दोनों पक्षकारों की सुनवाई कर प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। यदि निस्तारण संभव नही हो तो पक्षकारों को राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 58 के तहत वाद दायर करने की अनुशंसा की जाती है। 

यदि किसी भूखण्ड के सम्बन्ध में विवाद हो तो पक्षकार राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 58 के तहत उप रजिस्ट्रार (सहकारिता), जयपुर विकास प्राधिकरण में वाद प्रस्तुत कर सकते है। वाद स्वीकार होने पर आवेदक को 550/-रू. ट्रेजरी में जमा कराना होगा। जिसके पश्चात पंच निर्णायक की नियुक्ति की जायेगी। पंच निर्णायक पक्षकारों की सुनवाई कर अपना निर्णय देंगे। 

वसीयतनामा का पंजीकरण आवश्यक नही है किन्तु विधि अनुसार वसीयत नामा निष्पादित करते समय मौजूद दो गवाह के हस्ताक्षर होने चाहिये। 

हक-त्याग का पंजीकरण होना आवश्यक है।

जी हॉ, किन्तु संस्था या कम्पनी के आवेदन के साथ जनरल बॉडी के प्रस्ताव की प्रति एवं मेमोरेण्डम ऑफ ऐसोसिएशन के अनुसार अधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर सहित पेश किया गया हो।

यदि भूखण्ड का आवंटन अवयस्क के नाम से जरिये संरक्षक हुआ है तो प्राकृतिक संरक्षक द्वारा अवयस्क के हित में विक्रय किया गया होतो हस्तान्तरण सम्भव है। अन्य संरक्षक के मामले में सिविल न्यायालय के आदेश आवश्यक है।

कुल जमा राशि का 60 प्रतिशत हस्तान्तरण शुल्क उन प्रकरणों में रिफण्ड हो सकता है जिनका विवरण प्रश्न सं.-3 में दिया गया है।