Land Allotment (According to Policy-2015)

राज्य सरकार द्वारा विभिन्न उपयोगों के लिये और विभिन्न स्तरों पर भूमि आवंटन में आ रही कठिनाईयों एवं विलम्ब को दूर कर आवंटन प्रक्रिया का सरलीकरण करने, भूमि आवंटन में एकरूपता रखे जाने, आवंटित भूमि का दुरूपयोग रोकने और रियायती दर पर आवंटित भूमि का लाभ विभिन्न संस्थानों द्वारा समाज को उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से दिनांक 26.09.2015 को राजस्थान के नगरीय क्षेत्रों में विभिन्न उद्देष्यों के लिए भूमि आवंटन नीति-2015 जारी की गई।

इससे आमजन/संस्थानों को भूमि आवंटन में आने वाली कटिनाईयंॉ भी दूर हो सकेंगी और नगरीय क्षेत्रों में विनिवेश को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ सामाजिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य, पर्यटन आदि क्षेत्रों में और अधिक इकाईयांॅ कार्य करने हेतु आकर्षित होंगी। इससे भूमि का समुचित उपयोग होने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

इस नीति के अन्तर्गत सामाजिक, सार्वजनिक, चेरिटेबल व धार्मिक संस्थाओं के अतिरिक्त निजी निवेशकों, कम्पनियों, ट्रस्ट, सरकारी विभागों, उपक्रमों एवं निकायों तथा मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों को भूमि आवंटन किया जा सकता है।

इस नीति के अन्तर्गत शैक्षणिक कार्य, चिकित्सा कार्य, सार्वजनिक सुविधाओं यथा सामुदायिक केन्द्र, नशा मुक्ति केन्द्र, वृद्धाश्रम/अनाथाश्रम, पेंशनरों के लिए विश्राम घर, निःशक्तजनों, मूक-बधिरों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण केन्द्र, प्याऊ, शौचालयों एवं मूत्रालयों, पुस्ताकालय, धर्मशाला, महिला छात्रावास, श्मशान/कब्रिस्तान, उद्योग व अन्य गतिविधियांे के लिए यथा उद्योग, ट्यूरिज्म यूनिट, यूथ क्लब, स्पोर्टस फेसिलिटी, गोल्फ कोर्स, ट्रांसपोर्ट/पार्किग से संबंधित प्रोजेक्ट, ठोस कचरा निस्तारण प्रोजेक्ट, गैस वितरण/आपूर्ति प्रोजेक्ट/गोदाम, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, कनवेंशन सेंटर, ओडिटोरियम, म्यूजियम, प्रदर्शनी/आर्ट गेलरी, ट्रेनिंग संस्थान, अनुसंधान एवं विकास केन्द्र (R & D center), क्लब, बस डिपो, नाईट शेल्टर, स्टेडियम, मोटर ड्राईविंग स्कूल, कौशल विकास जैसे कार्यों तथा स्टेट एम्पावर्ड कमेटी द्वारा अनुमोदित गतिविधियों एवं राजकीय विभागों को कार्यालयों, विभिन्न जनहित विकास कार्यों एवं राजनैतिक दलों के भवन हेतु भूमि का आवंटन किया जा सकता है।

इस नवीन नीति के अन्तर्गत आवंटन चाहने हेतु आवेदक संस्था/कम्पनी/विभाग/राजनैतिक दल इस हेतु निर्धारित प्रपत्र क्रमशः ’अ’, ’ब’, ’स’ व ’द’ में आवश्यक दस्तावेजों सहित मय सॉफ्ट कॉपी के आवेदन पत्र प्रस्तुत करेगा। उक्त प्रपत्र प्राधिकरण के नागरिक सेवा केन्द्र से संस्थागत आवंटन हेतु निर्धारित बुकलेट सीसीसी-14 में प्राप्त किये जा सकते हैं।

बुकलेट सीसीसी-14 का शुल्क 200/- रूपये हैं। राज्य सरकार की आवंटन नीति-2015 में आवेदन शुल्क 5000/- रूपये निर्धारित है। यह शुल्क जरिये डी.डी. सचिव, जयपुर विकास प्राधिकरण के पक्ष देय होगा। राज्य सरकार के विभागों को आवेदन शुल्क में छूट है।

प्राधिकरण के नागरिक सेवा केन्द्र में आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के बाद उक्त आवेदन पत्र अतिरिक्त आयुक्त (एलपीसी) को प्राप्त होगा। जिसे एलपीसी प्रकोष्ठ द्वारा जांच कर नगरीय विकास विभाग की आवंटन नीति के बिन्दु संख्या 4.2 की पालना में आवेदन पत्र पर आमजन की टिप्पणी/आपत्ति प्राप्त करने हेतु 15 दिवस की अवधि के लिये वेबसाईट पर अपलोड किया जाता है। इसके पश्चात् चाही गई भूमि के चिन्हिकरण की कार्यवाही उपायुक्त के स्तर से कराई जाती है।

राज्य सरकार की आवंटन नीति के अन्तर्गत विकसित व अविकसित भूमि आवंटन की जा सकती है। सामान्यतः सार्वजनिक उपयोग के कार्य हेतु संस्थानिक भूमि, वाणिज्यिक/उद्योग के उपयोग हेतु व्यावसायिक भूमि आवंटन की जाती है। आवंटन की जाने वाली भूमि का भू-उपयोग मास्टर प्लान में उसी प्रयोजनार्थ अनुज्ञेय होना चाहिये।

राज्य सरकार द्वारा जारी आवंटन नीति के अन्तर्गत प्राधिकरण की बेशकीमती भूमि को रियायती दर पर आवंटन नहीं किया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त माननीय उच्च न्यायालय के निर्णयों के अन्तर्गत प्रतिबन्धित श्रेणी यथा चरागाह, गै.मु. नदी/नाला, वन भूमि व अवाप्ताधीन भूमि आदि का आवंटन नहीं किया जा सकता है।

विकसित श्रेणी की भूमि को आरक्षित दर + 15 प्रतिशत (शहरी निकाय को देय राशि) व अविकसित श्रेणी की भूमि कृषि भूमि की डीएलसी दर + 20 प्रतिशत (शहरी निकाय को देय राशि) पर आवंटन की जाती है। सार्वजनिक उपयोग के प्रकरणों में संस्थानिक आरक्षित दर व वाणिज्यिक/उद्योग के उपयोग के प्रकरणों में व्यासायिक आरक्षित दर पर आवंटन किया जाता है। उक्त दर में छूट राज्य सरकार के स्तर पर दी जा सकती है।